Premium Only Content

Shiv Mahapuran Episode 47 देवी सती के अवतार लेते हीं क्या हुआ ? suno shiv puran @sartatva
Shiv Mahapuran Episode 47 देवी सती के अवतार लेते हीं क्या हुआ ? suno shiv puran @sartatva
शिवपुराण - रुद्रसंहिता, द्वितीय (सती) खण्ड - अध्याय १४
दक्ष की साठ कन्याओं का विवाह, दक्ष और वीरिणी के यहाँ देवी शिवा का अवतार, दक्ष द्वारा उनकी स्तुति तथा सती के सद्गुणों एवं चेष्टाओं से माता-पिता की प्रसन्नता
ब्रह्माजी कहते हैं – देवर्षे! इसी समय दक्ष के इस बर्ताव को जानकर मैं भी वहाँ आ पहुँचा और पूर्ववत् उन्हें शान्त करने के लिये सान्त्वना देने लगा। तुम्हारी प्रसन्नता को बढ़ाते हुए मैंने दक्ष के साथ तुम्हारा सुन्दर स्नेहपूर्ण सम्बन्ध स्थापित कराया। तुम मेरे पुत्र हो, मुनियों में श्रेष्ठ और सम्पूर्ण देवताओं के प्रिय हो। अतः बड़े प्रेम से तुम्हें आश्वासन देकर मैं फिर अपने स्थान पर आ गया। तदनन्तर प्रजापति दक्ष ने मेरी अनुनय के अनुसार अपनी पत्नी के गर्भ से साठ सुन्दरी कन्याओं को जन्म दिया और आलस्य रहित हो धर्म आदि के साथ उन सबका विवाह कर दिया। मुनीश्वर! मैं उसी प्रसंग को बड़े प्रेम से कह रहा हूँ, तुम सुनो। मुने! दक्ष ने अपनी दस कन्याएँ विधिपूर्वक धर्म को ब्याह दीं, तेरह कन्याएँ कश्यप मुनि को दे दीं और सत्ताईस कन्याओं का विवाह चन्द्रमा के साथ कर दिया। भूत (या बाहुपुत्र), अंगिरा तथा कृशाश्व को उन्होंने दो-दो कन्याएँ दीं और शेष चार कन्याओं का विवाह तार्क्ष्य (या अरिष्टनेमि) के साथ कर दिया। इन सबकी संतान परम्पराओं से तीनों लोक भरे पड़े हैं। अतः विस्तार भय से उनका वर्णन नहीं किया जाता। कुछ लोग शिवा या सती को दक्ष की ज्येष्ठ पुत्री बताते हैं। दुसरे लोग उन्हें मझली पुत्री कहते हैं तथा कुछ अन्य लोग सबसे छोटी पुत्री मानते हैं। कल्प-भेद से ये तीनों मत ठीक हैं। पुत्र और पुत्रियों की उत्पत्ति के पश्चात् पत्नी सहित प्रजापति दक्ष ने बड़े प्रेम से मन-ही-मन जगदम्बिका का ध्यान किया। साथ ही गद्गदवाणी से प्रेमपूर्वक उनकी स्तुति भी की। बारंबार अंजलि बाँध नमस्कार करके वे विनीत भाव से देवी को मस्तक झुकाते थे। उससे देवी शिवा संतुष्ट हुईं और उन्होंने अपने प्रण की पूर्ति के लिये मन-ही-मन यह विचार किया कि अब मैं वीरिणी के गर्भ से अवतार लूँ। ऐसा विचार कर वे जगदम्बा दक्ष के हृदय में निवास करने लगीं। मुनिश्रेष्ठ! उस समय दक्ष की बड़ी शोभा होने लगी। फिर उत्तम मुहूर्त देखकर दक्ष ने अपनी पत्नी में प्रसन्नतापूर्वक गर्भाधान किया। तब दयालु शिवा दक्ष-पत्नी के चिंत में निवास करने लगीं। उनमें गर्भधारण के सभी चिह्न प्रकट हो गये। तात! उस अवस्था में वीरिणी की शोभा बढ़ गयी और उसके चित्त में अधिक हर्ष छा गया। भगवती शिवा के निवास के प्रभाव से वीरिणी महामंगलरूपिणी हो गयी। दक्ष ने अपने कुल-सम्प्रदाय, वेद ज्ञान और हार्दिक उत्साह के अनुसार प्रसन्नतापूर्वक पुंसवन आदि संस्कार सम्बन्धी श्रेष्ठ क्रियाएँ सम्पन्न की। उन कर्मों के अनुष्ठान के समय महान् उत्सव हुआ। प्रजापति ने ब्राह्मणों को उनकी इच्छा के अनुसार धन दिया।
उस अवसर पर वीरिणी के गर्भ में देवी का निवास हुआ जानकर श्रीविष्णु आदि सब देवताओं को बड़ी प्रसन्नता हुई। उन सबने वहाँ आकर जगदम्बिका स्तवन किया और समस्त लोकों का उपकार करने वाली देवी शिवा को बारंबार प्रणाम किया। वे सब देवता प्रसन्नचित्त हो दक्ष प्रजापति तथा वीरिणी की भूरि-भूरि प्रशंसा करके अपने-अपने स्थान को लौट गये। नारद! जब नौ महीने बीत गये, तब लौकिक गति का निर्वाह कराकर दसवें महीने के पूर्ण होने पर चन्द्रमा आदि ग्रहों तथा ताराओं की अनुकूलता से युक्त सुखद मुहूर्त में देवी शिवा शीघ्र ही अपनी माता के सामने प्रकट हुईं। उनके अवतार लेते ही प्रजापति दक्ष बड़े प्रसन्न हुए और उन्हें महान् तेज से देदीप्यमान देख उनके मन में यह विश्वास हो गया कि साक्षात् वे शिवादेवी ही मेरी पुत्री के रूप में प्रकट हुई हैं। उस समय आकाश से फूलों की वर्षा होने लगी और मेघ जल बरसाने लगे। मुनीश्वर! सती के जन्म लेते ही सम्पूर्ण दिशाओं में तत्काल शान्ति छा गयी। देवता आकाश में खड़े हो मांगलिक बाजे बजाने लगे। अग्निशालाओं की बुझी हुई अग्नियाँ सहसा प्रज्वलित हो उठीं और सब कुछ परम मंगलमय हो गया। वीरिणी के गर्भ से साक्षात् जगदम्बा को प्रकट हुई देख दक्ष ने दोनों हाथ जोड़कर नमस्कार किया और बड़े भक्ति-भाव से उनकी बड़ी स्तुति की।
बुद्धिमान् दक्ष के स्तुति करने पर जगन्माता शिवा उस समय दक्ष से इस प्रकार बोलीं, जिससे माता वीरिणी न सुन सके।
देवी बोलीं – प्रजापते! तुमने पहले पुत्रि रूप में मुझे प्राप्त करने के लिये मेरी आराधना की थी, तुम्हारा वह मनोरथ आज सिद्ध हो गया। अब तुम उस तपस्या के फल को ग्रहण करो।
उस समय दक्ष से ऐसा कहकर देवी ने अपनी माया से शिशु रूप धारण कर लिया और शैशव भाव प्रकट करती हुई वे वहाँ रोने लगीं। उस बालिका का रोदन सुनकर सभी स्त्रियाँ और दासियाँ बड़े वेग से प्रसन्नतापूर्वक वहाँ आ पहुँची। असिक्नी की पुत्री का अलौकिक रूप देखकर उन सभी स्त्रियों को बड़ा हर्ष हुआ। नगर के सब लोग उस समय जय-जयकार करने लगे। गीत और वाद्यों के साथ बड़ा भारी उत्सव होने लगा। पुत्री का मनोहर मुख देखकर सबको बड़ी ही प्रसन्नता हुई। दक्ष ने वैदिक और कुलोचित आचार का विधिपूर्वक अनुष्ठान किया। ब्राह्मणों को दान दिया और दूसरों को भी धन बाँटा। सब ओर यथोचित गान और नृत्य होने लगे। भाँती-भाँती के मंगल कृत्यों के साथ बहुत-से बाजे बजने लगे। उस समय दक्ष ने समस्त सद्गुणों की सत्ता से प्रशंसित होने वाली अपनी उस पुत्री का नाम प्रसन्नतापूर्वक 'उमा' रखा। तदनन्तर संसार में लोगों की ओर से उसके और भी नाम प्रचलित किये गये, जो सब-के-सब महान् मंगलदायक तथा विशेषतः समस्त दुःखों का नाश करने वाले हैं। वीरिणी और महात्मा दक्ष अपनी पुत्री का पालन करने लगे तथा वह शुक्लपक्ष की चन्द्रकला के समान दिनों-दिन बढ़ने लगी। द्विजश्रेष्ठ! बाल्यावस्था में भी समस्त उत्तमोत्तम गुण उसमें उसी तरह प्रवेश करने लगे, जैसे शुक्लपक्ष के बाल चन्द्रमा में भी समस्त मनोहारिणी कलाएँ प्रविष्ठ हो जाती हैं। दक्षकन्या सती सखियों के बीच बैठी-बैठी जब अपने भाव में निमग्न होती थी, तब बारंबार भगवान् शिव की मूर्ति को चित्रित करने लगती थी। मंगलमयी सती जब बाल्योचित सुन्दर गीत गाती, तब स्थाणु, हर एवं रुद्र नाम लेकर स्मरशत्रु शिव का स्मरण किया करती थी।
Shiv Mahapuran Episode 47, shiv puran,shiv puran katha,shiv puran facts,shiv puran gyan,shiv puran katha full in hindi,pradeep mishra shiv puran live today,shiv puran pradeep mishra,shiv puran live today pradeep mishra,shiv puran full episode,shiv puran parbhani live,pradeep mishra shiv puran day 3,sampuran shiv puran movie,shiv puran katha today live kuber subedi,shiv puran live parbhani,shiv puran giri bapu live,pradeep mishra shiv puran day 4,sanchit yadav shiv puran kahani,shiv maha puran today live,live shiv puran,shiv puran hindi,shiv puran ratlam,suno shiv puran,shiv puran ka last episode,shiv puran song,shiv puran t series,shiv puran katha murlidhar ji maharaj,shiv puran hindi book,shiv puran all episodes,maha tripund shiv puran pradeep mishra,shiv puran shivratri katha
.
.
.
#shivpuran #shiv #mahadev #shiva #lordshiva #bholenath #omnamahshivaya #harharmahadev #shivajimaharaj #mahakal #omnamahshivay #om #shivaay #india #shivangi #shivshakti #bholebaba #shivling #hindu #shivaji #hinduism #shivshankar #jayshivray #love #shivamogga #bhole #shivangi_joshi #ujjain #shivangijoshi #mahakaal #shivbhakt #shivratri #shiva #mahashivratri #omnamahshivaya #shivratri2023 #shivay #happymahashivratri #shiv #mahadev #masikshivratri #agricultureworldwide #happyshivratri #shivaratri #_happy_shivratri_ #agdaily #maha_shivratri #shivam #somnathtemple #dost #shivaji #shambhu #narashivanienogtey #mahakal #lordshiva #kaal #tractors #hanuman #bholenath #kisan #windowshive
-
56:38
DeProgramShow
5 days agoDeprogram with Ted Rall and John Kiriakou: "Jake Tapper on the Global Hunt for an Al Qaeda Killer”
64.2K7 -
3:44:21
FreshandFit
10 hours agoWhat Can These Women Give A Man That They've Never Given Before?
208K60 -
2:29:28
Badlands Media
13 hours agoDevolution Power Hour Ep. 400: The 400th Episode Celebration – Trump’s Gamble, Biden’s Fall, and the Great American Reckoning
70.9K35 -
2:05:10
Inverted World Live
6 hours agoHypersonic UFO Over Minneapolis | Ep. 128
74.6K13 -
2:50:41
TimcastIRL
7 hours agoDemocrat Press IS DEAD, Timcast JOINS Pentagon Press Corps Sparking OUTRAGE | Timcast IRL
226K93 -
1:32:24
Tucker Carlson
6 hours agoTucker and MTG on the 5 Pillars of MAGA and the Snakes in Washington Trying to Tear Them Down
58.7K237 -
LIVE
Side Scrollers Podcast
3 days ago🔴FIRST EVER RUMBLE SUB-A-THON🔴DAY 3🔴PLAYING MIKE TYSON'S PUNCH OUT TILL I WIN!
942 watching -
17:14
Mrgunsngear
7 hours ago $17.91 earnedUpdate: Current Glocks Discontinued & Glock V Series Is Coming!
34.2K31 -
2:52:54
Barry Cunningham
8 hours agoMUST SEE: PRESIDENT TRUMP NATO PRESSER! AND NEW YORK CITY MAYORAL DEBATE!
57.7K48 -
13:15
Cash Jordan
10 hours ago"INVASION" Mob STRIKES Chicago Jail… FRONTLINE Marines IGNORE Judge, SMASH Illegals
42.3K49