बदल गए मेरे मौसम (Gazal) Badal Gaye Mausam

2 years ago
4

धुआँ सा फैल गया दिल में शाम ढलते ही
बदल गए मेरे मौसम तेरे बदलते ही

सिमटते फैलते साए कलाम (बातचीत) करने लगे
लहू में ख़ौफ़ का पहला चराग़ जलते ही

कोई मलूल (उदास) सी ख़ुशबू फ़ज़ा (वातावरण) में तैर गई
किसी ख़याल के हर्फ़-ओ-सदा (शब्द की आवाज़)में ढलते ही

वो दोस्त था कि अदू (शत्रु) मैं ने सिर्फ़ ये जाना
कि वो ज़मीन पे आया मेरे सँभलते ही

बदन की आग ने लफ़्ज़ों को फिर से ज़िंदा किया
हुरूफ़ (अक्षर) सब्ज़ (हरा भरा) हुए बर्फ़ के पिघलते ही

वो हब्स (कारावास) था कि तरसती थी साँस लेने को
सो रूह ताज़ा हुई जिस्म से निकलते ही

Loading comments...