(The Pursuing Shadow)

5 months ago
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नया शीर्षक: "पीछा करने वाली छाया" (The Pursuing Shadow)
हवा नंगे पेड़ों के बीच से गुजरती हुई चीख रही थी, पुरानी कुटिया की खिड़कियों को खुरच रही थी। मिया यहाँ भागने आई थी—अपनी नौकरी, अपने पूर्व प्रेमी, शहर के शोर से—लेकिन अब, चिमनी की टिमटिमाती आग के पास बैठकर, उसे लग रहा था कि शायद उसने गलती कर दी। यह एकांत जितना उसने सोचा था, उससे कहीं ज्यादा भारी था।

सब कुछ तब शुरू हुआ जब टक-टक की आवाज आई। हल्की, लयबद्ध, जैसे कांच पर नाखूनों की खटखटाहट। पहले तो उसने इसे नजरअंदाज किया, तूफान को दोष दिया। लेकिन फिर यह दोबारा आई, तेज, पीछे के दरवाजे से। उसने चिमनी से लोहे की छड़ उठाई और साँस रोककर उस ओर बढ़ी। दरवाजा बंद था, खिड़कियाँ अंधेरी। बाहर सिर्फ हवा थी।

तभी उसने उसे देखा: एक छाया, लंबी और विकृत, दीवार पर सरकती हुई। यह उसकी नहीं थी। आग की रोशनी उस तरह से नहीं मुड़ती थी। वह घूमी, छड़ उठाकर, लेकिन कमरा खाली था। उसकी नब्ज उसके कानों में धड़क रही थी।

फिर बत्तियाँ बुझ गईं।

अचानक अंधेरे में, उसे सुनाई दिया—एक नीची, गीली हँसी, बहुत करीब। वह दरवाजे की ओर ठोकर खाती हुई बढ़ी, ताले से जूझती रही, तभी कुछ ठंडा उसके टखने को छू गया। वह चीख पड़ी, दरवाजा खोलकर तूफान में भागी। बारिश उसके चेहरे पर कोड़े मार रही थी, जब वह पेड़ों की ओर दौड़ी, पीछे मुड़कर देखने की हिम्मत नहीं हुई।

सुबह होने तक वह कुटिया को दोबारा नहीं देख पाई, जब थकान ने उसे रुकने पर मजबूर कर दिया। यह-p[=

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