महात्मा गांधी कौन थे?

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गाँधी जी: एक महान आत्मा का जीवन

कल्पना कीजिए, एक ऐसा व्यक्ति जिसने अहिंसा के बल पर एक विशाल देश को आजादी दिलाई। यह कहानी है महात्मा गांधी की, जिनका जन्म 2 अक्टूबर 1869 को गुजरात के तट पर हुआ था। एक साधारण हिन्दू परिवार में पले-बढ़े मोहनदास करमचंद गांधी ने लंदन के इनर टेम्पल से कानून की शिक्षा प्राप्त की और 22 साल की उम्र में बैरिस्टर बने।

भारत में शुरुआती कुछ सालों में उन्हें वकालत में सफलता नहीं मिली। 1893 में, एक भारतीय व्यापारी के मुकदमे की पैरवी के लिए वे दक्षिण अफ्रीका गए और वहाँ 21 साल बिताए। यहीं पर उन्होंने अहिंसक प्रतिरोध का प्रयोग शुरू किया, जिससे उन्हें नस्लीय भेदभाव के खिलाफ लड़ने में कामयाबी मिली। दक्षिण अफ्रीका में ही उन्हें "महात्मा" की उपाधि से सम्मानित किया गया, जिसका अर्थ है "महान आत्मा"।

1915 में, 45 साल की उम्र में, गांधी भारत लौटे। उन्होंने किसानों, मजदूरों और आम जनता को संगठित करके ब्रिटिश शासन के खिलाफ आवाज उठाई। 1921 में, भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के नेता बनकर उन्होंने गरीबी कम करने, महिलाओं के अधिकारों को बढ़ाने, धार्मिक सौहार्द स्थापित करने और छुआछूत मिटाने जैसे अनेक अभियानों का नेतृत्व किया। उनका लक्ष्य था "स्वराज"—आत्म-शासन।

गाँधी जी ने खादी धोती पहनकर भारत के गरीबों के साथ अपनी एकता दिखाई। साधारण जीवन जीते हुए, वे लंबे उपवास भी करते थे—आत्म-चिंतन और राजनीतिक विरोध के लिए। उन्होंने 1930 में 400 किलोमीटर लंबा डांडी मार्च करके नमक कर के खिलाफ आंदोलन किया और 1942 में "भारत छोड़ो" आंदोलन का नेतृत्व किया। वे दक्षिण अफ्रीका और भारत दोनों में कई बार और कई सालों तक जेल गए।

1940 के दशक में, मुस्लिम राष्ट्रवाद ने भारत के विभाजन की मांग उठाई। 1947 में ब्रिटेन ने भारत को आजादी दी, लेकिन देश दो भागों में बँट गया: हिन्दू बहुल भारत और मुस्लिम बहुल पाकिस्तान। इस विभाजन के कारण व्यापक हिंसा हुई। गाँधी जी ने आजादी के उत्सव में भाग न लेकर हिंसा प्रभावित क्षेत्रों का दौरा किया और शांति स्थापित करने के लिए कई उपवास किए।

लेकिन दुर्भाग्य से, कुछ हिन्दू कट्टरपंथियों को लगा कि गांधी जी पाकिस्तान और भारतीय मुसलमानों का बहुत समर्थन कर रहे हैं। 30 जनवरी 1948 को, एक कट्टरपंथी हिन्दू राष्ट्रवादी, नाथूराम गोडसे ने दिल्ली में एक प्रार्थना सभा में गांधी जी की गोली मारकर हत्या कर दी। गाँधी जी का निधन 78 साल की उम्र में हुआ।

2 अक्टूबर को, उनके जन्मदिन को भारत में गांधी जयंती के रूप में राष्ट्रीय अवकाश के तौर पर मनाया जाता है, और दुनिया भर में इसे अंतर्राष्ट्रीय अहिंसा दिवस के रूप में मनाया जाता है। गाँधी जी को भारत का "राष्ट्रपिता" माना जाता है।

सीख: गांधी जी का जीवन हमें सिखाता है कि अहिंसा और दृढ़ता से बड़े से बड़े परिवर्तन लाए जा सकते हैं। उनका जीवन एक प्रेरणा है, जो हमें दिखाता है कि शांतिपूर्ण विरोध से कैसे न्याय और स्वतंत्रता प्राप्त की जा सकती है। उनकी विरासत हमेशा हमारे लिए एक मार्गदर्शक रहेगी।

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