क्या है क्यबेलियन?

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प्राचीन ज्ञान का आधुनिक अवतार: द क्यबेलियन

कल्पना कीजिए, एक ऐसी किताब जो प्राचीन मिस्र और ग्रीस के गुप्त ज्ञान का दावा करती है, परन्तु वास्तव में २०वीं सदी के नवीन विचारों से प्रभावित है। यही है "द क्यबेलियन"। १९०८ में "तीन दीक्षितों" ने इसे प्रकाशित किया, हालाँकि कई लोग मानते हैं कि इसके वास्तविक लेखक विलियम वाकर एटकिंसन थे। इस किताब में सात सिद्धांतों का उल्लेख है जो सम्पूर्ण हरमेटिक दर्शन का आधार बनाते हैं।

सात हरमेटिक सिद्धांत:

१. मानसिकता का सिद्धांत: यह सिद्धांत कहता है कि सब कुछ मन ही है, ब्रह्मांड मानसिक है। यह विचार प्राचीन ग्रीक हरमेटिका से प्रेरित है, जहाँ भी मन को सक्रिय कारण के रूप में देखा जाता था।

२. सादृश्यता का सिद्धांत: "जैसा ऊपर, वैसा नीचे; जैसा नीचे, वैसा ऊपर।" यह सिद्धांत जीवन के विभिन्न स्तरों के नियमों और घटनाओं के बीच संबंध दर्शाता है। यह एमरल्ड टैबलेट से लिया गया एक प्रसिद्ध विचार है।

३. कंपन का सिद्धांत: "कुछ भी स्थिर नहीं है, सब कुछ गतिमान है, सब कुछ कंपित है।" यह सिद्धांत डेविड हार्टले के दर्शन से लिया गया है, जो हरमेटिक विचारधारा से अलग है।

४. ध्रुवता का सिद्धांत: हर चीज दोहरी है, इसके दो ध्रुव हैं, विपरीत जोड़े हैं। विपरीत एक ही प्रकृति के होते हैं, परन्तु डिग्री में भिन्न। चरम सीमाएँ मिलती हैं।

५. लय का सिद्धांत: सब कुछ प्रवाहमान है, आता और जाता है। सब कुछ उतार-चढ़ाव से गुज़रता है। लय क्षतिपूर्ति करता है।

६. कारण और प्रभाव का सिद्धांत: हर कारण का प्रभाव होता है, हर प्रभाव का कारण होता है। सब कुछ नियम के अनुसार होता है। कई कारणों के स्तर हैं, लेकिन कुछ भी नियम से बच नहीं सकता।

७. लिंग का सिद्धांत: हर चीज में लिंग है; हर चीज में नर और मादा सिद्धांत मौजूद हैं। लिंग सभी स्तरों पर प्रकट होता है।

द क्यबेलियन और प्राचीन हरमेटिका:

हालाँकि, द क्यबेलियन में कई विचार प्राचीन ग्रंथों से प्रेरित हैं, जैसे मानसिकता और "जैसा ऊपर, वैसा नीचे" का सिद्धांत, लेकिन कुछ सिद्धांत, जैसे कंपन का सिद्धांत, आधुनिक विचारों से प्रभावित हैं। द क्यबेलियन का धार्मिक विचारों पर कम जोर और आध्यात्मिक विकास पर अधिक जोर, इसे प्राचीन हरमेटिका से अलग बनाता है। इसके कई नाम भी आधुनिक रचनाएँ हैं, प्राचीन नहीं।

नैतिक पाठ:

द क्यबेलियन हमें सिखाता है कि प्राचीन ज्ञान से प्रेरणा लेना महत्वपूर्ण है परन्तु आधुनिक विचारों के प्रभाव को समझना भी ज़रूरी है। प्राचीन और आधुनिक विचारों के बीच का अंतर समझने से ही हम सच्चे ज्ञान तक पहुँच सकते हैं। सब कुछ गतिमान है, विकासशील है, इसलिए सतत सीखना और समझना जरूरी है।

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