Part-1 Shankaracharya Nischalananda Saraswati vs Avimukteshwaranand Saraswati | Shubhankar Mishra

3 months ago
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कल शंकराचार्य जी पर किए वीडियो में बोलने में दो छोटी त्रुटि हो गई है, जिसके लिए क्षमा प्रार्थी हूं और भूल सुधार कर रहा हूं।

1) नीचे जो फोटो है, वह शंकराचार्यों के चतुष्पीठ सम्मेलन का है, जो बंगलूरू में 2007 में हुआ था। मैंने गलती से 2006 कह दिया था। इसी सम्मेलन में ब्रह्मलीन शंकराचार्य स्वरूपानंद सरस्वती जी महाराज ने अन्य दोनों पीठाधीश्वरों- श्रृंगेरी पीठ एवं पुरी पीठ के शंकराचार्यों से अपने दो दंडी संन्यासी शिष्य- अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती जी एवं सदानंद सरस्वती जी का परिचय कराया था और इसी सम्मेलन में श्रृंगेरी पीठाधीश्वर भारती तीर्थ जी महाराज से अपने बाद इन दोनों का ज्योतिष पीठ एवं द्वारका पीठ पर शंकराचार्य के रूप में अभिषेक करने को कहा था।

फोटो में दायीं ओर पुरी पीठाधीश्वर शंकराचार्य निश्चलानंद सरस्वती जी महाराज की ओर वर्तमान ज्योतिष पीठाधीश्वर शंकराचार्य अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती जी खड़े हैं। वहीं श्रृंगेरी पीठाधीश्वर शंकराचार्य भारती तीर्थ जी महाराज की ओर वर्तमान द्वारका पीठाधीश्वर शंकराचार्य सदानंद सरस्वती जी महाराज खड़े हैं।

ज्ञात हो कि ब्रह्मलीन शंकराचार्य स्वरूपानंद सरस्वती जी महाराज ने अपने केवल इन्हीं दो संन्यासी शिष्यों को दंड संन्यास की दीक्षा दी थी। केवल दंड संन्यासी ही शंकराचार्य हो सकते हैं।

2) दूसरी गलती पुरी पीठाधीश्वर शंकराचार्य निश्चलानंद सरस्वती जी महाराज को सबसे वरिष्ठ शंकराचार्य कहने में हो गई है। पुरी के शंकराचार्य जी सबसे वरिष्ठ शंकराचार्य नहीं हैं बल्कि आयुवृद्ध शंकराचार्य हैं। श्रृंगेरी के शंकराचार्य वरिष्ठतम शंकराचार्य हैं। वे 1988 में शंकराचार्य बने थे जबकि पुरी के शंकराचार्य उनसे कनिष्ठ हैं। वे 1992 में शंकराचार्य बने थे।

इस गलती ओर मेरा ध्यान आकर्षित करने के लिए रामजन्म भूमि मामले में हिंदू समाज को जीत दिलाने वाले सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ अधिवक्ता एडवोकेट पी.एन.मिश्र जी का मैं हृदय से धन्यवाद करता हूं। और भूलवश ही सही, जो त्रुटि हुई है, उसके लिए सभी #ISDians से क्षमा मांगता हूं। धन्यवाद। 🙏

#SandeepDeo

Shankaracharya Nischalananda Saraswati vs Avimukteshwaranand Saraswati | Shubhankar Mishra Podcast

शंकराचार्यों की एकता में दरार? पुरी पीठ के कारण संकट में सनातन परंपरा!

सनातन धर्म की रीढ़ माने जाने वाले चारों शंकराचार्य पीठों में अब मतभेद की चिंगारी?
पुरी पीठाधीश्वर के हालिया बयानों और कदमों ने सवाल खड़े कर दिए हैं—
क्या शंकराचार्यों की एकता टूटने की कगार पर है?

इस वीडियो में जानिए:
🔸 चार पीठों की ऐतिहासिक भूमिका क्या है?
🔸 पुरी पीठ के निर्णयों से क्यों नाराज़ हैं अन्य शंकराचार्य?
🔸 क्या यह सिर्फ व्यक्तिगत अहंकार है या कोई गहरी साजिश?

⚠️ अगर शंकराचार्य ही विभाजित हो गए, तो क्या होगा सनातन धर्म का भविष्य?

📌 वीडियो को अंत तक देखें और कमेंट में अपनी राय ज़रूर दें।

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