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इजराइल परमेश्वर लोग
प्रभु के दास / अध्यक्ष को/ सेवक/ परमेश्वर का भण्डारी को कैसा होना चाहिए
पुजारी और सेवक की गुणवत्ता
लैव्यवस्था 10:8-9 फिर यहोवा ने हारून से कहा, 9 कि जब जब तू वा तेरे पुत्र मिलापवाले तम्बू में आएं तब तब तुम में से कोई न तो दाखमधु पिए हो न और किसी प्रकार का मद्य, कहीं ऐसा न हो कि तुम मर जाओ; तुम्हारी पीढ़ी पीढ़ी में यह विधि प्रचलित रहे
लैव्यव्यवस्था 21:7-8,13 वे वेश्या वा भ्रष्टा को ब्याह न लें; और न त्यागी हुई को ब्याह लें; क्योंकि याजक अपने परमेश्वर के लिये पवित्र होता है। 13 और वह कुंवारी ही स्त्री को ब्याहे
यहेजकेल 44:22 वे विधवा वा छोड़ी हुई सत्री को ब्याह न लें; केवल इस्राएल के घराने के वश में से कुंवारी वा ऐसी विधवा बयाह लें जो किसी याजक की स्त्री हुई हो।
यहेजकेल 44:31 जो कुछ अपने आप मरे वा फाड़ा गया हो, चाहे पक्षी हो या पशु उसका मांस याजक न खाए।
मत्ती 20:26 परन्तु तुम में ऐसा न होगा; परन्तु जो कोई तुम में बड़ा होना चाहे, वह
तुम्हारा सेवक बने
मत्ती 22:16 सो उन्हों ने अपने चेलों को हेरोदियों के साथ उसके पास यह कहने को भेजा,
कि हे गुरू; हम जानते हैं, कि तू सच्चा है; और परमेश्वर का मार्ग सच्चाई से सिखाता है;
और किसी की परवा नहीं करता, क्योंकि तू मनुष्यों का मुंह देखकर बातें नही करता
मरकुस 10:43 पर तुम में ऐसा नहीं है, वरन जो कोई तुम में बड़ा होना चाहे वह तुम्हारा सेवक बने
प्रेरितों के काम 20:28इसलिये अपनी और पूरे झुंड की चौकसी करो; जिस से पवित्र
आत्मा ने तुम्हें अध्यक्ष ठहराया है; कि तुम परमेश्वर की कलीसिया की रखवाली करो,
जिसे उस ने अपने लोहू से मोल लिया है
2 कुरिन्थियों 7:1 सो हे प्यारो जब कि ये प्रतिज्ञाएं हमें मिली हैं, तो आओ, हम अपने आप को शरीर और आत्मा की सब मलिनता से शुद्ध करें, और परमेश्वर का भय रखते हुए पवित्रता को सिद्ध करें
गलातियों 6:6 जो वचन की शिक्षा पाता है, वह सब अच्छी वस्तुओं में सिखाने वाले को
भागी करे। धोखा न खाओ, परमेश्वर ठट्ठों में नहीं उड़ाया जाता, क्योंकि मनुष्य जो कुछ बोता है, वही काटेगा।
2 थिस्सलुनीकियों 3:9 यह नहीं, कि हमें अधिकार नहीं; पर इसलिये कि अपने आप को
तुम्हारे लिये आदर्श ठहराएं, कि तुम हमारी सी चाल चलो
(1 तीमुथियुस 3:1-13 )
1 तीमुथियुस 3:1-7 यह बात सत्य है, कि जो अध्यक्ष होना चाहता है, तो वह भले काम की
इच्छा करता है। 2 सो चाहिए, कि अध्यक्ष निर्दोष, और एक ही पत्नी का पति, संयमी,
सुशील, सभ्य, पहुनाई करने वाला, और सिखाने में निपुण हो3 पियक्कड़ या मार पीट
करने वाला न हो; वरन कोमल हो, और न झगड़ालू, और न लोभी हो4 अपने घर का
अच्छा प्रबन्ध करता हो, और लड़के-बालों को सारी गम्भीरता से आधीन रखता हो5 जब
कोई अपने घर ही का प्रबन्ध करना न जानता हो, तो परमेश्वर की कलीसिया की
रखवाली क्योंकर करेगा6 फिर यह कि नया चेला न हो, ऐसा न हो, कि अभिमान करके
शैतान का सा दण्ड पाए। 7 और बाहर वालों में भी उसका सुनाम हो ऐसा न हो कि
निन्दित होकर शैतान के फंदे में फंस जाए
1 तीमुथियुस 3:8वैसे ही सेवकों को भी गम्भीर होना चाहिए, दो रंगी, पियक्कड़, और नीच कमाई के लोभी न हों।
1 तीमुथियुस 3:9पर विश्वास के भेद को शुद्ध विवेक से सुरक्षित रखें।10 और ये भी पहिले परखे जाएं, तब यदि निर्दोष निकलें, तो सेवक का काम करें12 सेवक एक ही पत्नी के पति हों और लड़के बालों और अपने घरों का अच्छा प्रबन्ध करना जानते हों
1 तीमुथियुस 3:13 क्योंकि जो सेवक का काम अच्छी तरह से कर सकते हैं, वे अपने लिये अच्छा पद और उस विश्वास में, जो मसीह यीशु पर है, बड़ा हियाव प्राप्त करते हैं
1 तीमुथियुस 5:8 पर यदि कोई अपनों की और निज करके अपने घराने की चिन्ता न करे, तो वह विश्वास से मुकर गया है, और अविश्वासी से भी बुरा बन गया है
1 तीमुथियुस 6:11 पर हे परमेश्वर के जन, तू इन बातों से भाग; और धर्म, भक्ति, विश्वास, प्रेम, धीरज, और नम्रता का पीछा कर
2 तीमुथियुस 3:10 पर तू ने उपदेश, चाल चलन, मनसा, विश्वास, सहनशीलता, प्रेम,
धीरज, और सताए जाने, और दुख उठाने में मेरा साथ दिया
2 तीमुथियुस 2:24-26 और प्रभु के दास को झगड़ालू होना न चाहिए, पर सब के साथ कोमल और शिक्षा में निपुण, और सहनशील हो।25 और विरोधियों को नम्रता से समझाए , क्या जाने परमेश्वर उन्हें मन फिराव का मन दे, कि वे भी सत्य को पहिचानें। 26 और इस के द्वारा उस की इच्छा पूरी करने के लिये सचेत होकर शैतान के फंदे से छूट जाए
तीतुस 1:6 जो निर्दोष और एक ही पत्नी के पति हों, जिन के लड़के बाले विश्वासी हो, और जिन्हें लुचपन और निरंकुशता का दोष नहीं
तीतुस 1:7-16 क्योंकि अध्यक्ष को परमेश्वर का भण्डारी होने के कारण निर्दोष होना चाहिए; न हठी, न क्रोधी, न पियक्कड़, न मार पीट करने वाला, और न नीच कमाई का लोभी8 पर पहुनाई करने वाला, भलाई का चाहने वाला, संयमी, न्यायी, पवित्र और जितेन्द्रिय हो9 और विश्वासयोग्य वचन पर जो धर्मोपदेश के अनुसार है, स्थिर रहे; कि खरी शिक्षा से उपदेश दे सके; और विवादियों का मुंह भी बन्द कर सके
2 थिस्सलुनीकियों3:10 और जब हम तुम्हारे यहां थे, तब भी यह आज्ञा तुम्हें देते थे, कि यदि कोई काम करना न चाहे, तो खाने भी न पाए।
याकूब 1:19-22 हे मेरे प्रिय भाइयो, यह बात तुम जानते हो: इसलिये हर एक मनुष्य
सुनने के लिये तत्पर और बोलने में धीरा और क्रोध में धीमा हो20 क्योंकि मनुष्य का
क्रोध परमेश्वर के धर्म का निर्वाह नहीं कर सकता है21 इसलिये सारी मलिनता और
बैर भाव की बढ़ती को दूर करके, उस वचन को नम्रता से ग्रहण कर लो, जो हृदय में
बोया गया और जो तुम्हारे प्राणों का उद्धार कर सकता है22 परन्तु वचन पर चलने वाले
बनो, और केवल सुनने वाले ही नहीं जो अपने आप को धोखा देते हैं
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